Guladasta Bhaavanao ka

Guladasta Bhaavanao ka

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।। प्रस्तावना ।।

मैं कवीता संग्रस कान्हेरीकर। मैं हिंदी, मराठी और अंग्रेजी में गद्य और कविता लिखना पसंद करती हूं। मुझे आप सभी को यह बताते हुए बहुत खुशी महसूस हो रही है के आज मेरा पहला काव्यसंग्रह प्रकाशित हो रहा है।

जीवन के इस सफर में, मैंने कई अच्छे बुरे अनुभवों का सामना किया है। मेरा काव्यसंग्रह “गुलदस्ता भावनाओं का” उन्हीं खट्टी मीठी यादें से भरा है। मेरे छिपे जज़्बात, दबी ख्वाइशें, मेरी चाहतें तो कुछ शिकायतें भी इसमें शामिल है।

मैंने हमेशा से ही खुद को प्रकृति के करीब पाया है। मेरे आस पास घटती घटनाओं को, अपने जीवन के साथ जोड़ा है। मेरा कवि मन, प्रकृति की सुंदरता को निहारता है और उसमें घटती घटनाओं को अपनी कलम के सहारे सुंदर शब्दों में व्यतीत करता आया है। उसी गुलदस्ते को आप के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास कर रही हूं। आशा है आपको पसंद आए।

मेरे इस काव्यसंग्रह को सफल बनाने के लिए मैं सबसे पहले अपने जीवनसाथी, मेरे पति,सुभाषचंद्रजी का आभार प्रकट करना चाहूंगी। इनके सहयोग के बिना ये कार्य संभव नहीं था। मेरे कवी सहपाठी शीतल ,रुपाली ,मेरी बड़ी बहन, मेरा बेटा और बेटी इन सभी का प्रोत्साहन भी इस सफर में बहुत ही मूल्यवान रहा है।

मेरी कविताओं को आज तक आपने जितना सराहा है , प्यार दिया है आशा करती हूं उतना ही प्यार आप मेरे काव्यसंग्रह को भी देंगें। “गुलदस्ता भावनाओं का” से शुरू किया ये नया सफर आप सभी के सहयोग से अधिक काव्यमय होगा ये आशा करती हूं।

धन्यवाद 🙏

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