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Description
महक गर्ग (जन्म-27 मार्च 1984) का जन्म एक संयुक्त परिवार में हुआ और उनका बचपन हरियाणा के अंबाला सिटी में बीता। पारिवारिक मूल्यों और गहरे भावनात्मक वातावरण में पली-बढ़ी महक गर्ग ने जीवन के हर अनुभव को संवेदनशीलता से महसूस किया है।
महक गर्ग-एक भावनात्मक और संवेदनशील लेखिका हैं, जिन्होंने अपनी भावनाओ, अनुभवों और जीवन की सच्चाइयों को शब्दों में पिरोकर अपनी पहली पुस्तक “चलते रहे…. टूट कर भी” के माध्यम से पाठकों तक पहुँचाया है।
उनकी लेखनी दिल में निकले एहसासों की झलक है – जहां दर्द भी है, उम्मीद भी है और जीवन को नये दृष्टिकोण में देखने की प्रेरणा भी।
मट्रक गर्ग का मानना है कि “हर टूटन एक नई शुरुआत की राह दिखाती है।”
उनकी लेखनी दिल को छू लेने वाले शब्दों में पाठकों के मन में गहरी छाप छोड़ती है- खासकर उन दिलों पर, जिन्होंने कभी टूटकर भी चलना सिखा हो।




