Ashtvaama

Ashtvaama

Ashtvaama (अष्टवामा) By Dr. Jaya Anand इस कथा संग्रह में आठ कहानियाँ हिन्दी की और आठ कहानियाँ मराठी की हैं। हिन्दी और मराठी भाषा का एकत्र कथा संग्रह मेरी दृष्टि से सम्भवतः पहली बार गुजरा है। स्त्रियों के प्रति भोगवादी या सहानुभूति पूर्ण दृष्टि से नहीं वरन मनुष्य रूप में व्यंजित करना ही इस संग्रह की लेखिकाओं का सुयोग्य प्रयास है। अपने स्त्रीत्व को महत्व न देते हुए मानव जीवन का भाष्य इन लेखिकाओं ने अंकित किया हैं। अपनी अनुभूतियों को आत्मविश्वास के साथ शब्द देते हुए सामाजिक रूढ़ियों को उपेक्षित करते हुए लेखिकाओं ने कहानियों की परिकल्पना की है। इसलिए उनके लेखन में स्वतंत्र दृष्टिकोण परिलक्षित हुआ है। स्त्रियों के मन मे उठने वाली भावनाओं का प्रतिर्थिव लेखिकाओं के लेखन मे सहज ही प्रकट होता है। भारतीय समाज व्यवस्था द्वारा मान्य किए जाने वाले सामाजिक बंधनों को स्वीकार करने हुए सामाजिक चेतना का निदर्शन कथाओं में हैं। स्त्रियों की समस्याओं के प्रति चिन्तन शीलता, स्त्रियों से संबंधित अनेक प्रश्न, स्त्रियों के अनुभव का यथार्थ वादी दृष्टिकोण और उन समस्याओं का उपचार, सामाजिक रूढ़ियां रुग्ण परंपराओं का विरोध, असहाय स्त्री के जीवन का प्रत्ययकारी चित्रण स्त्री शरीर के भाव से जकड़ा हुआ जीवन का अनुभव इस संग्रहकी कथाओं में उद्घाटित है इस संग्रह की समस्त लेखिकाओं के उज्जवल भविष्य के लिए मेरी शुभकामनाए……

Original price was: ₹330.00.Current price is: ₹300.00.

Description

अष्टवामा

By Dr. Jaya Anand

इस कथा संग्रह में आठ कहानियाँ हिन्दी की और आठ कहानियाँ मराठी की हैं। हिन्दी और मराठी भाषा का एकत्र कथा संग्रह मेरी दृष्टि से सम्भवतः पहली बार गुजरा है।

स्त्रियों के प्रति भोगवादी या सहानुभूति पूर्ण दृष्टि से नहीं वरन मनुष्य रूप में व्यंजित करना ही इस संग्रह की लेखिकाओं का सुयोग्य प्रयास है। अपने स्त्रीत्व को महत्व न देते हुए मानव जीवन का भाष्य इन लेखिकाओं ने अंकित किया हैं। अपनी अनुभूतियों को आत्मविश्वास के साथ शब्द देते हुए सामाजिक रूढ़ियों को उपेक्षित करते हुए लेखिकाओं ने कहानियों की परिकल्पना की है। इसलिए उनके लेखन में स्वतंत्र दृष्टिकोण परिलक्षित हुआ है। स्त्रियों के मन मे उठने वाली भावनाओं का प्रतिर्थिव लेखिकाओं के लेखन मे सहज ही प्रकट होता है। भारतीय समाज व्यवस्था द्वारा मान्य किए जाने वाले सामाजिक बंधनों को स्वीकार करने हुए सामाजिक चेतना का निदर्शन कथाओं में हैं। स्त्रियों की समस्याओं के प्रति चिन्तन शीलता, स्त्रियों से संबंधित अनेक प्रश्न, स्त्रियों के अनुभव का यथार्थ वादी दृष्टिकोण और उन समस्याओं का उपचार, सामाजिक रूढ़ियां रुग्ण परंपराओं का विरोध, असहाय स्त्री के जीवन का प्रत्ययकारी चित्रण स्त्री शरीर के भाव से जकड़ा हुआ जीवन का अनुभव इस संग्रहकी कथाओं में उद्घाटित है इस संग्रह की समस्त लेखिकाओं के उज्जवल भविष्य के लिए मेरी शुभकामनाए……

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