₹235.00
Description
घरवाली की चाय! चाय! पिने वालों के लिए अमृत के समान होती हैं। लेकिन जो चाय के आदि नहीं होते है या फिर जिन्होंने कभीं भी चाय का स्वाद नहीं चखा हैं, उन्हें चाय मानो जहर कि तरह लगती हैं। इस पुस्तक में जिंदगी की छोटी छोटी बातो से जुड़े प्रस्सनता और जीने के मनोरम रूप को दर्शाया गया हैं। यह एक हास्य कहानी पुस्तक हैं , जिसके लेखक श्रीमान नागेश सू शेवालकर जी हैं। यह पुस्तक श्रीहिंद द्वारा प्रकाशित इनकी तीसरी पुस्तक हैं।