₹220.00
5 in stock
Description
जो भी भाव सहज रूप से मन मे उठे वे कुछ लयात्मक रूप लिए सम्भवतः कविता रूप में अभिव्यक्त हुए। निश्चय ही ये भाव गोमती किनारे ही उपजे और चाहे कहीं भी रहूं मन तो गोमती किनारे ही रहा । गोमती किनारे उपजे उन भावों की अभिव्यक्ति ही इस काव्य संग्रह में समाहित है। यह काव्य संग्रह भावानुसार ‘ सहज ही …’ , नेहिल मन, स्मृति वीथिका, इन्द्रधनुषी मन , गुनगुनाते हुए…. पांच खंडों में विभाजित है।
श्री हिंद प्रकाशन द्वारा आयोजित साहित्यिक प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने के कारण ही यह पुस्तक पुरस्कार स्वरुप श्री हिंद प्रकाशन ने प्रकाशित की है।श्री हिंद प्रकाशन का आभार। आशा है आप सबका स्नेह, आशीर्वाद मेरे काव्य संग्रह को मिलेगा।