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Description
कहानियाँ कभी यथार्थ के धरातल पर पटक देती है तो कभी रुई के फाहे सा सहेज लेती है।कहानियाँ कभी आँखों में गुलाबी सपनें बुनती है तो कभी उन्हीं सपनों के टूट जाने पर उनकी किरचों को चुनती है। कहानियाँ कभी जड़ों की तरह उलझी सी होती है तो कभी पत्तियों की तरह सुलझी सी होती है।कहानियाँ कभी अमिय बरसाती है चाँदनी रातों में तो कभी यथार्थ की तेज तपिश में झुलसाती है।
सच पूछिए तो कहानियों को लिखने में मुझे कभी कोई खास प्रयास नहीं करना पड़ा क्योंकि उन्हें मैं नहीं लिखती ये स्वयं अपने आपको मुझ से लिखवा लेती है।जीवन में जितनी बातें इंसान खुद से करता है उतना शायद किसी से भी नहीं….शायद यही बातें कहानियों का रूप ले लेती है। कहानियाँ हमारे इर्द-गिर्द ही होती है बस हमें उन्हें शब्दों से सहेजना होता है, विचारों से सम्भालना होता है और शिल्प से सँवारना होता है।बहुत सारे लोगों का यह मानना है कि कहानियाँ लेखक की आपबीती होती है, यह बात सच भी है और नहीं भी…क्योंकि लेखक जब आस-पास के माहौल से प्रभावित होत हैं तब उन्हें शब्दों का अमली जामा पहना देता है ,वो जैसा महसूस करता है बस उसी को कलमबद्ध कर देता है।पच्चीस कहानियों से सजा यह कहानी संग्रह जीवन की सच्चाई से रूबरू कराता है।उम्मीद करती हूँ आप सभी का भरपूर स्नेह और आशीर्वाद मिलेगा।