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Description
कैसे कोई लड़की एक सामग्री की तरह इस्तेमाल की जाती है और यह देख सुनकर उनकी अपनी ही कौम का खून क्यों नहीं खोलता ? स्त्रियों की अपनी कौम है जिसे अबला, नाजुक और न जाने कितने विश्लेषण से नवाजा गया और इस कौम ने इसे सहज स्वीकार भी कर लिया । क्या आधे लोग, आधे लोगों के उपभोग के लिए है? क्या एक का काम दूसरे को सुख देना हैं? जिसकी अस्मिता जाए उसका नाम छिपाया जाय ताकि बदनामी न हो, पर स्त्री कौम यह क्यों नहीं कहती कि नाम इसलिए नहीं बताया जा रहा है कि वह अब सबका नाम हैं। पीडि़त की वय की सभी लड़कियाँ उसे अपना ही नाम क्यों नहीं दे? क्यों उन्हें नहीं लगता कि जो उसके साथ घटा वह मुझे लगता है मेरे साथ घटा। यही समानुभुति आवश्यक है और जब तक यह नहीं आयेगी तब तक आधी आबादी, आधी आबादी के रहमों करम पर रहेगी। एक पर बीते और दूसरे महसूस करे, वह पीडि़त के साथ खड़ा हो, उसके लिए लड़े और जब तक यह नहीं होगा तब तक हिमाकत करने वाले, दुस्साहस करने वाले कैसे रूकेंगे। काली कहानी है ऐसे ही दुस्साहसियों को दंड देने की, पर कैसे? यही एक रहस्य कथा है। एक ऐसी कथा जो काल्पनिक होते हुए भी सच के करीब है। आज के न सहीं पर कल के करीब है ।